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Indian Air Foce को तुरंत चाहिए और Rafale ,स्क्वाड्रन कम हो रहे हैं और खतरे बढ़ रहे हैं
भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमानों की मांग केवल एक तकनीकी जरूरत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिक आवश्यकता है। वर्तमान परिदृश्य में मिग-21 जैसे पुराने विमान चरणबद्ध तरीके से सेवा से हट रहे हैं जिससे वायुसेना के स्क्वाड्रन लगातार घट रहे हैं, जबकि पाकिस्तान और चीन, दोनों, अपने वायुसेना बेड़े को आधुनिक तकनीक से लैस कर रहे हैं। पाकिस्तान पहले ही जे-10सी और एफ-16 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों पर निर्भरता बढ़ा रहा है और चीन के पास अत्याधुनिक 5वीं पीढ़ी के जे-20 फाइटर मौजूद हैं। ऐसे में शक्ति संतुलन बनाए रखना भारत के लिए अत्यावश्यक है। खासकर भारत-पाक और भारत-चीन सीमाओं पर बढ़ते तनाव को देखते हुए, वायु श्रेष्ठता केवल रक्षा के लिए नहीं, बल्कि रणनीतिक दबदबे के लिए भी जरूरी है।
हम आपको बता दें कि MRFA परियोजना पिछले 7–8 वर्षों से लंबित है, जिसकी प्रारंभिक लागत अनुमानित ₹1.2 लाख करोड़ से अधिक था। अब IAF के सामने विकल्प है कि राफेल की अतिरिक्त खरीद G2G मार्ग से हो क्योंकि यह प्रक्रिया तेज और आर्थिक होगी, साथ ही पहले से उपलब्ध आधारभूत संरचना (अंबाला और हासीमारा एयरबेस) का उपयोग किया जा सकेगा। इसके अलावा, 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का अधिग्रहण करना होगा इसके लिए रूस के सुखोई-57 और अमेरिका के F-35 पर विचार हो रहा है, पर अभी कोई औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है। साथ ही स्वदेशी AMCA परियोजना 2035 तक उत्पादन में आने की संभावना है लेकिन तब तक अंतरिम क्षमता अंतर को भरना होगा।
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