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( लेखक पत्रकार विकास भारती )
सीतापुर -02 फरवरी 1964 को विशेश्वर दयाल यादव के घर में जन्मा बालक एक महान राजनैतिक योद्धा के रुप में ख्याति प्राप्त करेगा। माता राजकुमारी यादव और उनके पति विशेश्वर दयाल ने इस बालक का नाम रामपाल रखा। रामपाल यादव का जन्म रामुवापुर ( किशोरगंज) के समीप स्थित एक ग्राम साऊंखैरा में हुआ था। इनके जन्म के कुछ वर्ष पश्चात इनके पिता जी साऊंखैरा से भनवापुर ( महंगेपुरवा) पलायन कर गए थे। बालक का लालन पोषण भनवापुर में ही हुआ था । जब बालक की अवस्था पढ़ने की हुई तो उसका नाम किशोरगंज इंटर कॉलेज में लिखा दिया गया। निर्धन परिवार से संबंध रखने के कारण बालक के पास कॉलेज तक जाने के लिऐ कोई साधन नही था। उस समय किशोरगंज एक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान था इसलिए धनी व्यक्ति अपने पाल्यों को वहीं पढ़ाते थे। चंदीभानपुर के बालक भी अपनी अपनी साईकिल से किशोरगंज पढ़ने जाते थे। बालक रामपाल उनको साइकिल पर बिठा कर ले जाता था। अपनी साईकिल खरीदने के लिए धन का अभाव था इसलिए दूसरों को साईकिल पर बिठाकर लाने ले जाने का कठिन कार्य करना पड़ता था। स्कूल से आने के बाद यह परिश्रमी बालक अपने जानवर चराता था, साथ में दूसरे के जानवरो को भी किराए पर चराने ले जाता था। इतनी मेहनत और कठोर परिश्रम से बालक का आत्मबल बढ़ता जा रहा था। अंतोगत्वा इस तपस्या का अंत निकट आया जब बालक ने इंटर की परीक्षा पास की। आगे की शिक्षा के लिए कोई विद्यालय इस क्षेत्र में नही था अतः इंटर पास करके घर पर बैठना पड़ा। जब रामपाल यादव जवान हुए तो उन्होंने तंबौर में दूध बेचना शुरू किया। यादव जी सामाजिक व्याक्ति थे इसलिए शीघ्र ही आपका तंबौर के सभ्रांत लोगों में उठना बैठना शुरू हुआ। मरहूम सज्जन गौरी, मरहूम इस्माइल खान और श्री असलम मिस्त्री खां से आपकी मित्रता प्रारंभ हुई। आपका विवाह सूरजलाल मिस्त्री की बेटी शांति देवी से 1984 में हुआ था। विवाह भी बड़ी कठिनाई और उथल पुथल के वातावरण में हुआ था। उस जमाने की रीत रिवाज के अनुसार आपकी बारात बैलगाड़ी से तंबौर आई थी। मिस्त्री सूरजलाल किसी भी दशा में विवाह के लिए राजी नही थे, लेकिन मिस्त्री असलम खां,मरहूम हाजी फहीम गौरी (सज्जन किराना) और इस्माइल खां के गारंटी देने पर मिस्त्री सूरजलाल ने स्वीकृत प्रदान की थी। इनके पिता की तरह इनके ससुर भी खालेपुरवा (अजयपुर) से पलायन कर तंबौर में बस गए थे। 1989 के विधानसभा चुनाव से पहले रामपाल प्रधान गोविंदापुर स्वo महफूज खान के संपर्क में आए। यह संबंध मिस्त्री असलम खान के द्वारा स्थपित हुए थे। 1989 के चुनाव में महफूज़ खान ने मुख्तार अनीस से मुलाकात कराकर रामपाल यादव को उनके सानिध्य में दे दिया था। विधानसभा चुनाव में इनके कुशल प्रबंधन एवं समर्पण भाव से प्रसन्न होकर स्वo मुख्तार अनीस ने इनको अपने कार्यकर्ताओं की कैबिनेट में शामिल कर लिया। तौकीर अहमद अल्लन से आपकी मित्रता प्रधान महफूज खान के संपर्क में आने के बाद हुई थी। दोनो की दोस्ती की मिसाल कायम है, दो जिस्म एक जान की तरह जीवन पर्यन्त साथ निभाया है। खुशी, गम और विपत्ति हर अवसर पर दोनो दोस्त साथ साथ रहे थे। मंदिर से प्रसाद लेना हो या दरगह पर चादर चढ़ानी हो दोनो मित्र सदैव साथ साथ ही रहे। 1989 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने और अपनी कैबिनेट में श्री मुख्तार अनीस साहब को स्वास्थ्य मंत्री बनाया। मुख्तार अनीस साहब ने आपको कोटे का लाइसेंस दिलाया, उस समय कोटे पर तेल के साथ साथ सीमेंट भी मिलती थी। और केरोसीन ऑयल व सीमेंट सीतापुर जिला डिपो से उठती थी। भाई साहब पत्र लिखकर अधिक से अधिक मात्रा में सीमेंट और तेल आपको दिला देते थे। इसके बाद आपके कई कोटों के लाइसेंस बने। बाद में मुख्तार अनीस के प्रयासों से ही आपका केरोसिन तेल का थोक विक्रेता लाइसेंस जारी हो गया था। इस लाइसेंस में नसीम मानपुरी आपके साझीदार थे। 1991 में बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि प्रकरण में मुलायम सिंह की सरकार गिर जाती है। 1991 में ही उप चुनाव होते हैं आप बिसवां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरते हैं तब रामपाल यादव चुनाव की कमान संभालते हैं लेकिन बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि प्रकरण के कारण सम्पूर्ण प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान होता है, इसलिए आप भी चुनाव हार जाते हैं। धीरे धीरे आपकी मुख्तार अनीस साहब से निकटता मित्रता में प्रवर्तित हो जाती है। आप मुख्तार अनीस साहब का दाहिना अंग बन जाते हैं। 1993 में एक बार फिर मुख़्तार अनीस साहब बेहटा विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं और भाई रामपाल यादव जी के कुशल प्रबंधन में भारी मतों से विजई होते हैं। रामपाल यादव इस चुनाव में भी मुख्य रणनीतकार भूमिका में नजर आते हैं। सन 1996 में लोकसभा के चुनाव होते हैं, प्रदेश में सामाजवादी पार्टी के कई विधायकों को टिकट दिए जाते हैं उनमें मुख्तार अनीस साहब भी एक थे। आप सीतापुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंच जाते हैं इस चुनाव में भी रामपाल यादव ने अपने उत्तरदायित्व को निभाने में कोई कसर बाकी नही रखी थी। चुनावी कौशल से मुख्तार अनीस साहब को मंत्रमुग्ध कर दिया था। 1996 में एक बार फिर विधानसभा के चुनाव होते हैं। जिसमे बेहटा विधान सभा क्षेत्र की अपनी सेटिंग सीट से अपने प्रिय वफादार साथी महेन्द्र कुमार सिंह झीन बाबू को चुनाव मैदान में उतारते हैं यद्यपि छोटटन खां नेता और दूसरे बहुत से कार्यकर्ताओं की सलाह जहीर अब्बास की माता को लड़ाने की थी लेकिन आपने उन सबकी मांग को अनसुनी करके अपने प्रिय साथी झीन बाबू को वरीयता देकर चुनाव जितवा दिया। मुख्तार अनीस साहब मरते दम तक परिवारवाद के विरुद्ध मुखर होकर बोलते रहे थे। 1996 के चुनाव में ही रामपाल यादव को बिसवां विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिलवाया। उनके टिकट मिलने की दास्तां कम रोचक नही है। बिसवां विधानसभा क्षेत्र से 1993 के चुनाव में श्री सुंदर पाल यादव सपा के टिकट से जीते थे। किसी सेटिंग एमएलए का टिकट कटवा कर दूसरे आम आदमी को दिलवाना सरल कार्य नही है। लेकिन मुख्तार अनीस जिद्दी स्वभाव के नेता थे, जो ठान लेते थे उसको करके दिखाते थे। एक दिन वसीउल्ला ड्राइवर से कहा गाड़ी निकालकर मुख्यमंत्री के यहां चलो। नेता जी से रामपाल यादव को टिकट देने के लिए कहा, नेता जी ने कहा कि सुंदर पाल सेटिंग एमएलए है छवि भी अच्छी है उसका टिकट कैसे कट सकता है, इतना कहकर नेता जी चल दिए भाईसाहब तैश में आकर आगे बढ़े, नेता जी का कुर्ता पकड़ लिया और बोले अभी टिकट फाइनल करो तब यहां से जाओगे, नेता जी मुख्तार अनीस का स्वभाव जानते थे क्योंकि आपातकाल में 19 माह जेल में रहे थे। नेताजी भाई साहब के साथी थे इसलिए अपने साथी का दिल दुखाना उचित नही समझा, नेताजी बोले कुर्ता छोड़ो और जाओ लड़ाओ, मगर जिता कर लाना। इस तरह आपने श्री रामपाल यादव जी को टिकट दिलवाया और मेहनत भी सबसे ज्यादा उसी क्षेत्र में की जिसका मैं खुद साक्षी हूं। जिले में 7 विधान सभा क्षेत्र जीतने के बावजूद दुर्भाग्य से बिसवां विधानसभा का चुनाव हार गया था । 1996 के अंत में मुख्तार अनीस साहब को ब्रैन हेमब्रिज हो जाता है और आप काफी समय तक हॉस्पिटलाइज रहते हैं, इस काल में सांसद का समस्त क्षेत्रीय कार्य भार रामपाल यादव को आप सौंप देते हैं। आपकी पूरी सांसद निधि का सदुपयोग करके एक बार फिर मुख्तार अनीस का दिल जीतने का कार्य करते हैं जिससे मुख्तार अनीस साहब के विश्वास को और बल मिलता है। 2002 के विधानसभा चुनाव में रामपाल यादव को पुनः प्रत्याशी घोषित किया जाता है, लेकिन इस बार के चुनाव में आप भारी मतों से विजई होते हैं। चुनाव जीतने के बाद पीछे मुड़ कर नही देखते हैं अपितु उन्नति के शिखर पर नित नए कीर्तिमान स्थापित करते जाते हैं। 2007/2021 में अपनी पत्नी शांति यादव को निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख बनवाया। 2012 में पुत्री दीपा यादव को र्निविरोध ब्लॉक प्रमुख बनवाया। बबलू पासी, मोल्हे राम को क्रमशः बिसवां और सकरन से ब्लॉक प्रमुख बनवाया। नीरज कुमार वर्मा झल्लर को जिला सहकारी समिति का चेयरमैन बनवाया। शमीम कौशर को सामाजवादी पार्टी का जिला अध्यक्ष बनवाया। 2015 में अपनी पत्नी और बेटे को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जिताया फिर इसी वर्ष अपने ज्येष्ठ पुत्र जितेन्द्र यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष अपनी सरकार की मंशा के विरुद्ध लड़ कर बनवाया। इसके परिणामस्वरूप आपको अत्त्याधिक आर्थिक,राजनीतिक, और मानसिक क्षति उठानी पड़ी । करोड़ों की कीमत से बना अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस स्पर्श होटल सीतापुर तथा जियामऊ लखनऊ का आलीशान बंगला जमींदोज कर दिया गया। जेल तक जाना पड़ा, लेकिन पहाड़ों जैसी हिम्मत वाला व्यक्ति अपनी जगह अडिग रहा। मैंने अपने जीवन काल में इतना गजब का आत्म विश्वाश और आत्मबल रखने वाला व्यक्ति कोई और नही देखा। 2017 में शिव कुमार गुप्ता बीजेपी में चले गए और अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए परंतु रामपाल यादव को दांव न दे पाए क्योंकि गठजोड़ बनाने में रामपाल यादव जैसा जिले में कोई और नेता नही था। श्री जितेन्द्र यादव जी 5 वर्षों तक सकुशल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान रहे। यद्यपि इन 5 वर्षों में 2 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और दोनो बार औंधे मुंह गिरा। 2012 में पुनः विधायक बनने से पहले आपने सम्पूर्ण कमाई कार्यकर्ताओं पर खर्च कर दी थी। सारे नेताओं के लखनऊ में आलीशान महल थे लेकिन आपके पास कोई घर नही था, 2012 में विधायक बनने के बाद आपने लखनऊ में बंगला खरीदा और वहीं रहने लगे। अपनी ही सरकार से लोहा लेने में कमयाब तो हो गए थे लेकिन राजनीतिक सफ़लता पर विराम लग गया था जिसका जीवन पर्यन्त दुख रहा। इस घटना से मुख्तार अनीस और अन्य पार्टी नेताओं से रिश्ते सामान्य न रह पाए। इस बीच बीजेपी में शामिल हुए लेकिन दिल समाजवादी था इसलिए वहां भी संतोष न मिल सका अतः12 मार्च 2023 को पोखरा में महेन्द्र कुमार वर्मा की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में सपा मुखिया के सामने पुनः पार्टी में सम्मिलित हुए। पार्टी में सम्मिलित होने के बाद लोकसभा प्रभारी बनाए गए, प्रबल आशा थी कि लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे परंतु ईश्वर से कौन लड़ सकता है मृत्यु का समय निश्चित है। परिवार में इनके दो बेटे और दो बेटियां हैं, बड़ी बेटी दीपा यादव की शादी हो चुकी है सबसे छोटी बेटी वंदना का विवाह अभी नही हुआ है। दीपा से छोटे रामेंद्र यादव हैं जिनका विवाह बख्शी तालाब के पूर्व धुरंधर विद्यायक राजेंद्र यादव की पुत्री से हुआ है। राजेंद्र यादव ने प्रत्येक विपत्ति पर रामपाल यादव का साथ निभाया था इसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है। दूसरे पुत्र जितेंद्र यादव की ससुराल इटावा में है। आपके परिवार में दो भांजे मनीष यादव और अवनीश यादव भी आपके साथ बचपन से रहते थे। मतुवा के निकट बुढ़नापुर निवासी एक बहन का नाम रामरानी है जो विगत 15 वर्षों से आपके साथ तंबौर में रह रही हैं। यह आपके भांजे प्रदीप यादव की माता जी हैं, प्रदीप यादव ने भी आपका कदम कदम पर साथ दिया था। आपकी दूसरी बहन का नाम सुमन यादव है जो खैराबाद के पास अदलीसपुर में रहती हैं। आपकी तीसरी बहन का नाम है। बस अड्डा तंबौर पर शमीम खान बैट्री वाले की दुकान सुबह शाम आपके बैठने की जगह हुआ करती थी, जहां से सारे कार्य आप संपादित करते थे। शमीम खान, शामून खान, इसराज व्यापारी, संतोष वर्मा और अनूप वर्मा आदि लोग आपकी मित्र मंडली की वरिष्ठता सूची में सबसे आगे हैं। शरीफ ड्राइवर से आपका भाई जैसा रिश्ता था जो जीवन पर्यन्त आपके साथ रहा है, हर दुख सुख का साथी था। आपसे बहुत प्रेम करता था। संजय अग्रवाल मूसा राम सीतापुर जिले के सबसे घनिष्ट व्यापारी साथी थे। बिसवां में श्री शमीम कौशर आपके अभीष्ट मित्र थे। लखनऊ के विधायक पुरम वाले आलीशान बंगले का नाम अपनी पत्नी के नाम पर शांति सदन रखा था। अच्छा खाना आपको बहुत पसन्द था, जीवन पर्यन्त शाकाहार पर ही आश्रित रहे, मीट, मछली, मदिरा का कभी सेवन नही किया। गाड़ियों का आपको बहुत शौक था, मर्सडीज, दो दो फारचूनर, इनोवा, टोयोटा गिलोंजा, स्विफ्ट डिजायर और सीआरबी होंडा आदि गाडियां आपके गैराज में हर समय खड़ी रहती थीं। परिवार के लिऐ अपार संपत्ति छोड़ कर गए हैं। नेमिष में 36 कमरों का आलीशान होटल जिसमे 500 लोगों के बैठने का एक बड़ा हाल है, होटल से 200 मीटर की दूरी पर 100 बीघे की आम की बाग, सकरन में ईंट भट्ठा, चहलारी में प्लाईवुड इंडस्ट्रीज, स्पर्श होटल की भूमि पर इंटर लॉकिंग मशीन, बिरयानी शॉप और एक ढाबा है। बेटे जितेंद्र यादव ने भी लुलु मॉल के समीप अंशल प्लाजा में अपने लिए एक शानदार विला बना रखा है। आप कल्पना करें कि इतनी अकूत संपत्ति का मालिक यह व्याक्ति कितना सामान्य जीवन व्यतीत करता था। लोगों की मदद करना इनके जीवन का अनिवार्य अंग था, खास तौर पर अपने साथियों की देखभाल करते रहते थे। दबंग व्यक्ति होने के बावजूद स्वभाव शांत था सरल ढंग से बात करते थे, सभी का सम्मान करते थे, अत्त्यधिक हंसमुंख थे उनकी महफिलों में कोई हंसे बिना नही रह पाता था। तंबौर के लोगों से विशेष लगाव था। भाई शमून खां बताते हैं कि अभी मेदांता में एडमिट थे लेकिन किसी साथी ने बेटी की शादी या किसी और परेशानी का जिक्र किया, फौरन उसके यहां एक लाख रुपए भिजवा दिए। मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती के समय जाते हुए एक अंजान महिला पैसे के अभाव में रो रही थी, दयाभाव दिखाते हुए 5 हजार रूपये की मदद की। खर्चीले इतने थे कि रोज सुबह कार्यकर्ताओं को लेकर सीतापुर, लखनऊ घुमाने ले जाते थे और खिला पिला कर शाम को वापिस आ जाते थे। हिम्मत और हौसला बहुत था निडर, निर्भीक जीवन व्यतीत करते थे।
28 अगस्त 2023 को 59 वर्ष की अवस्था में इस लोकप्रिय नेता ने रात्रि 11.30 बजे अंतिम सांस लेकर संसार को अलविदा कहा। अंतिम संस्कार में कार्यकर्ताओं और नेताओं का आया हुआ जन सैलाब उनकी लोकप्रियता की कहानी बयान कर रहा था। अगले दिन सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आगमन पर उमड़े जन मानस ने अखिलेश यादव को विधायक जी के क्षेत्र में स्नेह प्रेम, सेवा और समर्पण भाव को दर्शा दिया है।
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